Tuesday, August 18, 2009

फुरसत - आशा बर्मन

आओ आज इस नये दिवस में एक नयी शुरूआत करें।
फुरसत से बैठे हैं हम, यूँ ही सबसे बाते करें॥

अपने नन्हें से बेटे से खेल-वेल कुछ हो जाये।
प्यारी बिटिया की कोई अभिलाषा पूरी हो जाये॥

अपने ही परिवार पर, खुशियों की बरसात करें।
फुरसत से बैठे हैं हम, यूँ ही सबसे बाते करें॥

अम्माजी के पास गये, बीत चलें हैं कुछ दिन।
पल-पल छिन-छिन नैन बिछाये बैठी रहती हैं हर दिन॥

उनके मुख पर मुस्कान सजे, कुछ ऐसी करामात करें।
फुरसत से बैठे हैं हम, यूँ ही सबसे बाते करें॥

मेरे मन की गहराई से कोई धीरे से बोला।
मन के सोये भावों को,मैंने कबसे नहीं टटोला॥

आज समय ह, क्यूँ न स्वयं से मुलाकात करें।
फुरसत से बैठे हैं हम, यूँ ही सबसे बाते करें॥

इस बसन्ती मौसम में, चिड़ियों की है मधुर चहक।
वातावरण में व्याप रही है फूलों की मीठी महक॥

इस प्राकृतिक शोभा को उर में आत्मसात करें।
फुरसत से बैठे हैं हम, यूँ ही सबसे बाते करें॥

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