Monday, August 16, 2010

हिन्दुस्तान की पहचान- आशा बर्मन


हिन्दुस्तान की पहचान

अपने हिन्दुस्तान की पहचान कहाँ है?
प्रातःकाल चरणस्पर्श है, न नमस्कार,
गुडमार्निंग की चहुंदिशि हो रही बौछार॥
जयरामजी को सुनने को तरस गये कान,
अपनी सभ्यता के नमन और प्रणाम कहाँ हैं ?
अपने हिन्दुस्तान की पहचान कहाँ है?

भारत में सुबह होगी, वहीं होगी शाम,
खायेंगे समोसे , जलेबी भरकर प्राण,
डबलरोटी, बिस्किट देखकर मैं निराश हुई।
हाय वे स्वदेशी जलपान कहाँ हैं ?
अपने हिन्दुस्तान की पहचान कहाँ है?


किसी के घर गये खाने को निमंत्रण,
वीसीआर पे देख रहे वे, अमिताभ बच्चन,
संकेत से कहा कि आप बैठ जाइये,
अतिथि के प्रति प्रेम और सम्मान कहाँ हैं ?
अपने हिन्दुस्तान की पहचान कहाँ है?

अंग्रेजी शिक्षा का हो रहा है माध्यम,
फ़ैशनपरस्ती में खो गया है सादापन,
पूर्व पर पश्चिम का चढ़ गया रंग,
इस समस्या का समाधान कहाँ है?
अपने हिन्दुस्तान की पहचान कहाँ है?

समाचारपत्र देख, मन हुआ अति प्रसन्न.
निज मातृभाषा हिन्दी में किया गया वर्णन,
हिंसा और आतंक पढ़्कर काँप गया मन,
और पूछ रहा अहिंसा का वरदान कहाँ है?
अपने हिन्दुस्तान की पहचान कहाँ है?