
Saturday, August 29, 2009
प्रश्न - आशा बर्मन

Tuesday, August 18, 2009
फुरसत - आशा बर्मन
फुरसत से बैठे हैं हम, यूँ ही सबसे बाते करें॥
अपने नन्हें से बेटे से खेल-वेल कुछ हो जाये।
प्यारी बिटिया की कोई अभिलाषा पूरी हो जाये॥
अपने ही परिवार पर, खुशियों की बरसात करें।
फुरसत से बैठे हैं हम, यूँ ही सबसे बाते करें॥
अम्माजी के पास गये, बीत चलें हैं कुछ दिन।
पल-पल छिन-छिन नैन बिछाये बैठी रहती हैं हर दिन॥
उनके मुख पर मुस्कान सजे, कुछ ऐसी करामात करें।
फुरसत से बैठे हैं हम, यूँ ही सबसे बाते करें॥
मेरे मन की गहराई से कोई धीरे से बोला।
मन के सोये भावों को,मैंने कबसे नहीं टटोला॥
आज समय ह, क्यूँ न स्वयं से मुलाकात करें।
फुरसत से बैठे हैं हम, यूँ ही सबसे बाते करें॥
इस बसन्ती मौसम में, चिड़ियों की है मधुर चहक।
वातावरण में व्याप रही है फूलों की मीठी महक॥
इस प्राकृतिक शोभा को उर में आत्मसात करें।
फुरसत से बैठे हैं हम, यूँ ही सबसे बाते करें॥
तुम्हारा प्यार - आशा बर्मन
धरा सा विस्तीर्ण.
अनल सा दाहक,
अनिल सा वाहक,
सागर सा विस्तार,
तुम्हारा प्यार!
विश्व में देश,
देश में नगर.
नगर का कोई परिवेश,
उसमें, मैं अकिंचन!
अपनी लघुता से विश्वस्त,
तुम्हारी महत्ता से आश्वस्त,
निज सीमाओं में आबद्ध
मैं हूँ प्रसन्नवदन!
परस्पर हम प्रतिश्रुत,
पल - पल बढ़ता प्यार,
शब्दों पर नहीं आश्रित,
भावों को भावों से राह!
तुम्हारी महिमा का आभास,
पाकर मैंने अनायास,
दिया सौंप सारा अपनापन
चिन्तारहित मेरा मन!
Wednesday, August 12, 2009
अपराधबोध - आशा बर्मन

जिन जीवनमूल्यों में जीते थे,
उनको फ़िर से रहे आंक।
क्या त्यागें. हम क्या अपनायें?
हम विमूढ़ से रहे ताक ॥
स्वदेश लौट्ने की योजना
सदैव स्थगित करते गये।
साथ ही एक अपराधबोध
मन में विकट भरते रहे॥
ऊपर से सम्पन्न सही,
अन्तर से निपट निर्धन।
हम इतने क्यों निरुपाय?
अपने प्रति यह है अन्याय॥
जब सारी सृष्टि का वह निर्माता,
हर देश का उससे ही नाता।
तो यह कैसा है विरोध?
कैसा यह अपराधबोध?
हम समझें निज को भाग्यवन्त,
दो संस्कृतियों को हमने जाना,
उनके गुण-अवगुण को
निकट से हमने पहचाना॥
हम भारत माता के कृतज्ञ,
जिसने हमें जन्म दिया।
इस विदेशभूमि ने भी
भरण-पोषण व शरण दिया॥
भारत ने सदा से ही
पोषक को सम्मान दिया ।
देवकीनंदन कृष्ण यशोदा का
बेटा भी कहलाया ॥
Monday, August 10, 2009
अभिनय- आशा बर्मन

लेकर चरित्र हम जीवन से
उसे सजाकर अभिनय से
निज परिश्रम से उनमें
रंग जीवन के भरते हैं।
हम अभिनय करते हैं॥
नाट्यरस में डूब-डूब कर,
निज स्वरूप को भूल-भूल कर,
अभिनीत चरित्रों में रमकर
सपनों में विचरते हैं ।
हम अभिनय करते हैं॥
कंठ्स्थ करें संवादों को,
जीवन्त करें उन भावों को,
सब पात्रों से रख तालमेल,
अभ्यास सतत हम करते हैं।
हम अभिनय करते हैं ॥
साधना कठिन थी अनिवार्य,
बाधायें सारी कीं शिरोधार्य ।
सबसे सहयोग किया सबने,
स्वान्तःसुखाय सब किया कार्य॥
दर्शक हो चाहे निर्देशक,
सबके कटाक्ष हम सहते हैं।
हम अभिनय करते हैं ॥
यह रंगमंच है जीवन का,
हम आप सभी हैं अभिनेता,
निर्देशक है वह परमपिता,
जिसके सशक्त संकेतों पर,
हम सभी थिरकते रहते हैं।
हम अभिनय करते हैं ॥
अधिकार- आशा बर्मन
जीवन की हुई शुरुवात ।
अधिकारों की हो रही बात॥
छोटे-बड़े, नर-नारि सभी
और अधिक पाने के मद में
आधिकारों का उपयोग हो तभी,
देश के नागरिक बनने का ।
मतदान के द्वारा अपना
नेता स्वयं चुनने का ॥
आतंकवादियों ने फ़ैलाया