Friday, October 23, 2009

कविता- आशा बर्मन


कविता


किसी ने कहा, कविता मन का विलास है,
कविता मेरे लिये प्राणों की प्यास है ।
प्यास है साथ ही तृप्ति का साधन भी,
कविता आराध्य है, साथ ही आराधन भी।

विलास की वस्तु यह पहले हुआ करती थी,
अलंकारों से युक्त हो,राजाओं के मन हरती थी।
कविता हमारे लिये विलास का न साधन है,
न ही हमारे लिये जीविका उपार्जन है ॥

युग-युग में कविता के रूप अनेक रहे,
अन्तरात्मा जिस ओर गयी,कवि उस ओर बहे।
कभी वीर, कभी भक्ति, कभी श्रृंगारप्रधान रही,
कविता कभी वादों के विवाद में उलझती रही ॥

कविता तुलसी की अनन्य दैन्य भक्ति है,
कविता सूर की प्रेमजन्य शक्ति है ।
मीरा के आंसू, कबीर की वह बानी है,
कविता की शक्ति अब जानी-पहचानी है ।।

हम प्रवासी कवि सबसे ही निराले हैं,
व्यवहारिकता में नितान्त भोले-भाले हैं॥
राजनीति के दाँवपेच हमें न आते हैं,
करतलध्वनिमात्र से हर्षित हो जाते हैं॥

कविता हमारे लिये भावमय विचार है,
इसके माध्यम से होता आत्मविस्तार है।
यंत्रचालित जीवन से उबरने का उपाय है,
कविता हमारे लिये स्वान्तःसुखाय है ॥

1 comment:

  1. कविता हमारे लिये स्वान्तःसुखाय है ॥
    तभी तो सुर, तुलसी, और मीरा की बनी बन गयी है ...
    बहुत बढ़िया ...शुभकामनाये ..!!

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