मत करीब आओ कि डर लगता है।
और पाने की कशिश है, कोशिश फ़िर भी,
खो न दूँ, जो भी पाया है कि डर लगता है।
मत करीब आओ कि डर लगता है।
मृदुल स्मृतियाँ सहलाती मन को,
मधुर कल्पनायें बहलाती मन को,
बिसरी बातों में न बदलें कि डर लगता है।
मत करीब आओ कि डर लगता है।
विश्वास की नैया में हम चलते ही गये,
वह कब प्रेम में बदला,यह समझ ही न सके,
प्यार अब और तो बढ़ सकता नहीं,
कम न हो जाये कि डर लगता है।
मत करीब आओ कि डर लगता है।
इस पार रहें कि हम उस पार रहें,
हां - ना के झूले में कबतक झूलें,
अबतक जिस छोर को पकड़ा मैनें.
वो भी टूटेगा, छूटेगा,कि डर लगता है।
मत करीब आओ कि डर लगता है।
बहुत बढ़िया गीत.
ReplyDeleteमत करीब आओ की डर लगता है ...खुबसूरत प्रेम गीत ..!!
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